गरीबी और भूख:समाधान क्या है ?
बहुत अफसोस होता है कि हमारा देश, जो कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था, आज वही देश भूख, गरीबी, बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि जैसी न जाने कितनी समस्याओं से घिरा हुआ है। यह वास्तविकता अपनी जगह है कि आज आर्थिक दृष्टिकोण से हमारा देश प्रगति की ओर अग्रसर है, फिर उसी देश के निवासियों का भूख से दम तोड़ना हमारी आर्थिक उन्नति पर ही नहीं, बल्कि इस समस्या के समाधान के लिए किये गये प्रयासों पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है। आश्चर्य भी होता है कि गरीबी उन्मूलन और खाद्य सहायता कार्यक्रमों पर करोड़ों व्यय करने के उपरांत भी ये समस्या कम होने के विपरीत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है!
यह कड़वी हकीकत भी अपनी जगह है कि हर साल सरकार की लापरवाही, गलत नीतियाँ व भंडारण की ठीक से व्यावस्था न होने के कारण लाखों टन अनाज जरूरतमंदों तक पहुँचने से पहले ही बारिश से नष्ट हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप न जाने कितने अभागे भूख-भूख चिल्लाते इस दुनिया से विदा हो जाते हैं। तरक्की के इस दौर में आज भी कूड़े के ढेर से रिजक तलाशते, कूड़ा बीनते असंख्य बूढ़े, बच्चे, जवान नज़र आते हैं, जो हमारे इन्सान होने पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। हम सभी का नैतिक कर्त्तव्य बनता है कि हम दूसरे इन्सान की तकलीफ को समझें, उसे दूर करने का माध्यम बनें, क्योंकि इससे बढ़कर कोई इबादत, कोई तपस्या नहीं हो सकती।
इस बात में भी कोई दो राय नहीं है कि ये समस्या तब तक बनी रहेगी, जब तक अमीर और अमीर, गरीब और गरीब बनता चला जायेगा। पर लगता नहीं कि अमीर और अमीर बनने की लालसा को छोड़कर किसी गरीब को अमीर बनाने का प्रयास करेगा। इस बात को दरकिनार कर भी दिया जाये, तो यह वास्तविकता भी अपनी जगह चौंकाने वाली है कि जो देश भूखमरी की समस्या से ग्रस्त है, वहाँ पर अन्न की बरबादी भी बड़े पैमाने पर होती है – चाहे विवाह समारोह हों, सामाजिक कार्यक्रमों व होटलों में बनने वाला भोजन हो या घरों में बचकर फिकने वाला भोजन हो। जरूरतमंद तक पहुँचने के उपयुक्त माध्यम न होने के कारण इतना अन्न कूड़े में फेंक दिया जाता है, जो एक तरह से इस भूख की समस्या को गंभीर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसलिए सरकार को चाहिए कि अगर वो इस समस्या का कोई उचित समाधान नहीं निकाल सकती है, तो कम से कम व्यर्थ जाने वाले भोजन को जरूरतमंदों तक पहुँचाने का ही उचित प्रबंध करा दे, ताकि अन्न की बरबादी भी न हो और कोई भूख की वजह से अकाल मृत्यु को प्राप्त न हो, महिलाओं को भी चाहिए कि वो भोजन हमेशा आवश्यकतानुसार ही बनायें और थाली में भी उतना ही भोजन परोसें जितनी आपकी भूख हो । यथासंभव कोशिश करें कि भोजन कूड़े में न फेंकना पड़े। अपने स्तर पर कोशिश करके बचे हुए भोजन को जरूरतमंद तक पहुँचा दें। ऐसा करने से जहाँ अन्न की बरबादी नहीं होगी, वहीं भूखे को खाना खिलाने से आपको जो आत्मसंतुष्टि मिलेगी, उसकी अनुभूति निश्चित ही आपको अपने इन्सान होने पर गर्व करने का अवसर प्रदान करेगी।
व्यक्तिगत रूप से अगर हम सभी अपने स्तर से प्रयास करें, तो इस भूख जैसी गंभीर मानव अस्तित्व से जुड़ी समस्या का पूरा न सही थोड़ा हल तो अवश्य निकल ही सकता है। सबसे पहले हमें इस बात को अच्छे से समझना होगा कि इस समस्या का समाधान भूखे लोगों को एक वक्त या दो वक्त का या हमेशा पका पकाया खाना खिलाने से नहीं होगा बल्कि रोजगार देने से होगा, उनमें आत्मसम्मान की भावना को जाग्रत करने से होगा, उनकी सार्थक सहायता करने से होगा; और वह तब होगा, जब हम चंद सिक्कों को दान में देने की बजाय सम्मिलित रूप से किसी एक जरूरतमंद को रोजगार से लगाने में सहायता करें या स्वयं रोजगार दें। तभी निश्चितरूप से हमें इस समस्या के समाधान का सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद