Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Sep 2022 · 3 min read

गरीबी और भूख:समाधान क्या है ?

बहुत अफसोस होता है कि हमारा देश, जो कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था, आज वही देश भूख, गरीबी, बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि जैसी न जाने कितनी समस्याओं से घिरा हुआ है। यह वास्तविकता अपनी जगह है कि आज आर्थिक दृष्टिकोण से हमारा देश प्रगति की ओर अग्रसर है, फिर उसी देश के निवासियों का भूख से दम तोड़ना हमारी आर्थिक उन्नति पर ही नहीं, बल्कि इस समस्या के समाधान के लिए किये गये प्रयासों पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है। आश्चर्य भी होता है कि गरीबी उन्मूलन और खाद्य सहायता कार्यक्रमों पर करोड़ों व्यय करने के उपरांत भी ये समस्या कम होने के विपरीत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है!
यह कड़वी हकीकत भी अपनी जगह है कि हर साल सरकार की लापरवाही, गलत नीतियाँ व भंडारण की ठीक से व्यावस्था न होने के कारण लाखों टन अनाज जरूरतमंदों तक पहुँचने से पहले ही बारिश से नष्ट हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप न जाने कितने अभागे भूख-भूख चिल्लाते इस दुनिया से विदा हो जाते हैं। तरक्की के इस दौर में आज भी कूड़े के ढेर से रिजक तलाशते, कूड़ा बीनते असंख्य बूढ़े, बच्चे, जवान नज़र आते हैं, जो हमारे इन्सान होने पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। हम सभी का नैतिक कर्त्तव्य बनता है कि हम दूसरे इन्सान की तकलीफ को समझें, उसे दूर करने का माध्यम बनें, क्योंकि इससे बढ़कर कोई इबादत, कोई तपस्या नहीं हो सकती।
इस बात में भी कोई दो राय नहीं है कि ये समस्या तब तक बनी रहेगी, जब तक अमीर और अमीर, गरीब और गरीब बनता चला जायेगा। पर लगता नहीं कि अमीर और अमीर बनने की लालसा को छोड़कर किसी गरीब को अमीर बनाने का प्रयास करेगा। इस बात को दरकिनार कर भी दिया जाये, तो यह वास्तविकता भी अपनी जगह चौंकाने वाली है कि जो देश भूखमरी की समस्या से ग्रस्त है, वहाँ पर अन्न की बरबादी भी बड़े पैमाने पर होती है – चाहे विवाह समारोह हों, सामाजिक कार्यक्रमों व होटलों में बनने वाला भोजन हो या घरों में बचकर फिकने वाला भोजन हो। जरूरतमंद तक पहुँचने के उपयुक्त माध्यम न होने के कारण इतना अन्न कूड़े में फेंक दिया जाता है, जो एक तरह से इस भूख की समस्या को गंभीर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसलिए सरकार को चाहिए कि अगर वो इस समस्या का कोई उचित समाधान नहीं निकाल सकती है, तो कम से कम व्यर्थ जाने वाले भोजन को जरूरतमंदों तक पहुँचाने का ही उचित प्रबंध करा दे, ताकि अन्न की बरबादी भी न हो और कोई भूख की वजह से अकाल मृत्यु को प्राप्त न हो, महिलाओं को भी चाहिए कि वो भोजन हमेशा आवश्यकतानुसार ही बनायें और थाली में भी उतना ही भोजन परोसें जितनी आपकी भूख हो । यथासंभव कोशिश करें कि भोजन कूड़े में न फेंकना पड़े। अपने स्तर पर कोशिश करके बचे हुए भोजन को जरूरतमंद तक पहुँचा दें। ऐसा करने से जहाँ अन्न की बरबादी नहीं होगी, वहीं भूखे को खाना खिलाने से आपको जो आत्मसंतुष्टि मिलेगी, उसकी अनुभूति निश्चित ही आपको अपने इन्सान होने पर गर्व करने का अवसर प्रदान करेगी।
व्यक्तिगत रूप से अगर हम सभी अपने स्तर से प्रयास करें, तो इस भूख जैसी गंभीर मानव अस्तित्व से जुड़ी समस्या का पूरा न सही थोड़ा हल तो अवश्य निकल ही सकता है। सबसे पहले हमें इस बात को अच्छे से समझना होगा कि इस समस्या का समाधान भूखे लोगों को एक वक्त या दो वक्त का या हमेशा पका पकाया खाना खिलाने से नहीं होगा बल्कि रोजगार देने से होगा, उनमें आत्मसम्मान की भावना को जाग्रत करने से होगा, उनकी सार्थक सहायता करने से होगा; और वह तब होगा, जब हम चंद सिक्कों को दान में देने की बजाय सम्मिलित रूप से किसी एक जरूरतमंद को रोजगार से लगाने में सहायता करें या स्वयं रोजगार दें। तभी निश्चितरूप से हमें इस समस्या के समाधान का सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: लेख
8 Likes · 723 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...