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8 May 2024 · 1 min read

गरिमामय है धरती अपनी

गरिमामयी है धरती अपनी
इसे वसुंधरा भी कहते है
यह धरती है बलिदान की
फांसी चढ़े कितने ही गीत गाते हुए।

शाम को कह दो अब
कल फिर सूरज आयेगा
नहीं रहेगा राज अंधेरा
देखेंगे सूरज को नया सबेरा लाते हुए।

उधम से शुरु हुआ तो
गांधी तक शहीद हुए
गली गली में दिखते बच्चे
गीत – क्रांति के गाते हुए।

यह देश हमारा है भाई
रक्षा करेंगे इसकी राई -राई
मिट जायेंगे, मर जायेंगे
क्षत- विक्षत करने जो कोई आए।
*******”**”**********************
स्वरचित: घनश्याम पोद्दार
मुंगेर

Language: Hindi
2 Likes · 47 Views
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