गरज रहे है बादल,डरा रहे है मुझको –आर के रस्तोगी
गरज रहे है बादल,
डरा रहे है मुझको |
डर भगा दो तुम मेरा,
बस गले लगा लो मुझको ||
चमक रही है बिजली,
सता रही है मुझको |
कलमुही के पास न जाना,
जलाकर राख कर देगी मुझको ||
बरस रहे है बादल,
तरसा रहे है मुझको |
कैसे अग्न बुझेगी मेरी ,
बस बता दो अब मुझको ||
पड रही है धीरे धीरे बूंदे,
कह रही है कुछ मुझको |
कैसे आयेगे तेरे साजन,
समझ रही है मुझको ||
झूले डल चुके है बागो में,
कैसे झुलाओगे तुम मुझको ?
सारी सखियाँ झूल चुकी है ,
अब झुलाने आ जाओ मुझको ||
कोयल कूक रही है बागो में,
मीठी तान सुना रही मुझको |
ऐसे में पास होते तुम मेरे,
संगीत का मजा मिलता मुझको ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम मो 9971006425