गरज रहे है,बरस रहे है,सावन के ये बादल —आर के रस्तोगी
गरज रहे है,बरस रहे है, सावन के ये बादल |
बरस रहे है मेरे नैना,आये नहीं मेरे साजन ||
चारो तरफ छाया अँधेरा,दामिनी दमक रही है |
ये बैरन भी मुझको,इतना क्यों डरा रही है ?
किससे कहूँ,कैसे कहूँ,मन की ये अपनी बात |
संग सहेली चली गयी, उनका नहीं भी साथ ||
रो रो कर भीग गया मेरे मन का ये आँचल |
गरज रहे है,बरस रहे है,सावन के ये बादल ||
चारो तरफ हरियाली छाई,खुश नही मेरा मन |
रोम रोम तडफ रहा ,कुछ चाह रहा मेरा तन ||
किससे कहूँ,कैसे बुझे,ये तन की मेरी अगन |
बुझ जाती ये अगन,जो पास होते मेरे सजन ||
निकल कर कुछ कह रहा,ये नैनो का काजल |
गरज रहे है,बरस रहे है,सावन के ये बादल ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम मो 9971006425