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20 Apr 2023 · 1 min read

गया राजपद प्रभु हर्षाए : कुछ चौपाइयॉं

गया राजपद प्रभु हर्षाए : कुछ चौपाइयॉं
➖➖➖➖➖➖➖➖
1)
गया राजपद प्रभु हर्षाए।
वन की ज्यों अक्षय निधि पाए।।
कौशल्या में धर्म समाया।
पुत्र-मोह किंचित कब पाया।।
2)
कहा राम से धर्म निभाओ।
वचन पिता के उर में लाओ।।
लक्ष्मण बोले साथ चलूॅंगा ।
साथ आपका हर क्षण दूॅंगा ।।
3)
मेरे केवल आप सहारे।
आप पिता सिय मात हमारे ।।
नयनों से सीता जी रोईं।
चरण-कमल में पति के खोईं।।
4)
कहा बिना पति स्वर्ग न प्यारा।
वन का कष्ट इस तरह हारा।।
कैकेई पाषाण कहाई।
खुद मुनि-वस्त्र ढूॅंढ कर लाई।।
5)
कुपित-दुखी थे अवध निवासी।
बिना मीन जल के ज्यों प्यासी ।।
चले राम के सॅंग सब वन को।
शांत इस तरह करने मन को।।
6)
तमसा नदी प्रथम था डेरा।
जनसमूह ने अब भी घेरा ।।
कहा राम ने अब सब जाओ।
दशरथ जी को शक्ति बॅंधाओ ।।
7)
रात हुई तो रथ दौड़ाया।
पीछा फिर इस तरह छुड़ाया।।
दुखी राम को रटते-रटते।
नहीं अयोध्या के दिन कटते।।
————————————-
रचयिता :(रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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