गम बेवफाई का
**** गम बेवफाई का ****
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शौर गूँजता खूब शहनाई का
बेशक गम हो बेवफाई का
मिलने के मौसम हों सुहावने
दर्द बहुत होता है जुदाई का
लाल जोड़े में सजी मोहब्बत
घूँघट में डर है प्रीत पराई का
कारावास के पल मुश्किल हैं
खुशी का ठिकाना रिहाई का
गर्मी का मौसम है गर्म बड़ा
सर्दी में सुख बहुत रजाई का
मनाने वाला अगर पास न हो
फायदा न कोई रुसवाई का
मनसीरत स्नेही दिन लद गए
मज़ा लेते हैं लोग लड़ाई का
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)