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3 Apr 2024 · 1 min read

गम और खुशी।

गम और खुशी के झूले में जिंदगी झूलती रही।
पहुंचे कैसे जानिब ए मंजिल बस सोचती रही।।

मत बना रेत पर अपना आशियां बह जाएगा।
समन्दर की लहरें आकर हमको बोलती रही।।

कर बैठे हम अपने दिलका और गम ले लिया।
आशिकी करने से जिन्दगी हमको रोकती रही।।

उनको क्या पहचानते हम खुद को न समझे।
अपनी ही परछाई जिंदगी हमेशा खोजती रही।।

पल भर की थी ये खुशियां कब हम मुस्कुराते।
ये उंगलियां अश्क ए नज़र हमेशा पोछती रही।।

अजीब सी कश्मकश में थे किधर को जाएं।
ज़िन्दगी खड़ी दो राहे पर हमारी सोचती रही।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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