गम ए जिंदगी के लम्हें……
गम-ए – जिंदगी के लम्हें…..
गम-ए-जिंदगी के लम्हें ,
आज लेने दो मुझे कहने
फिर नसीब मिले ना मिले ,
कौन जाने तुमसे मिलने…!
आ…बैठ नजदीक मेरे ,
दूरी बस इतनी रहे ,
चाहतों की कशमकश में ,
दरमियां बस बनी रहे…!
नजरें मिले तो प्यास अधूरी ,
मन ये चाहे कब हो पूरी
आज मुझे रस लेने दो पीने ,
लगता मैं लगा जिंदगी जीने…!
गम ए जिंदगी के लम्हें ,
आज लेने दो मुझे कहने ,
फिर नसीब मिले ना मिले ,
कौन जाने तुमसे मिलने…!
कौन हो…? कैसी हो…?
किसके जैसी हो…?
ये पता कहां मुझे…!
पर लगता है तुम ,
बनी हो मेरे लिए
ये कह दू तुझे…!
मन थक गया है ,
सालों से चलते-चलते
प्यार की चाह में…!
आओ पास मेरे तुम ,
कुछ देर सुस्ता लूं तेरी
जुल्फों की छांह में…!
फिर भी कितना तन्हा हूं मैं
दुनिया की महफिल कितने
कोई तो मुझे लगे अपने
कुछ कहने ,कुछ सुनने…!
गम ए जिंदगी के लम्हें ,
आज लेने दो मुझे कहने ,
फिर नसीब मिले ना मिले ,
कौन जाने तुमसे मिलने…!
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव (छ. ग.)