गम आ मिले।
ढूंढने निकले थे खुशी।
बे- हिसाब गम आ मिले।।
गंदा हुआ ज़मीर मेरा।
खुद का इश्राक खो दिए।।
इश्राक=चमक
ताज मोहम्मद
लखनऊ
ढूंढने निकले थे खुशी।
बे- हिसाब गम आ मिले।।
गंदा हुआ ज़मीर मेरा।
खुद का इश्राक खो दिए।।
इश्राक=चमक
ताज मोहम्मद
लखनऊ