– गमों का दरिया –
– गमों का दरिया –
गमों के दरिया में इस कदर डूब गए,
जो मिला उसने दिया धोखा,
जिसे अपना माना उससे मिला फरेब,
बेवफाई का आलम यह रहा,
जो थे वफादार उन पर भी वहम रहा,
न जाने कौन कब दे जाए धोखा,
ऐसा सोचकर जीवन भर में चलता रहा,
सावधानी में रहकर अपने पथ पर बढ़ता रहा,
हटी अगर मेरी सावधानी तो दुर्घटना न घट जाए,
यह सोचकर हरदम मन से में सावधान रहा,
गमों के दरिया में यह दिल डूबा रहा,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान