Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2024 · 1 min read

“गमलों की गुलामी में गड़े हुए हैं ll

“गमलों की गुलामी में गड़े हुए हैं ll
कुछ पौधे पिंजरे में जकड़े हुए हैं ll

आसमां छूने के ख्वाब मिट्टी में मिल गये,
पौधे ले देकर बस दो चार फुट बड़े हुए हैं ll

पंछियों के घोंसले तक नहीं हैं
पौधे इंसानों के बीच अकेले खड़े हुए हैं

ऊंचाई पर तो हैं पर ऊंचे नहीं हैं,
पौधे छत की मुंडेर पर चढ़े हुए हैं ll

यह वृक्षारोपण नहीं, वृक्षाशोषण है,
फूल मुरझाएं हुए हैं, फल सड़े हुए हैं ll”

40 Views

You may also like these posts

दिखावटी मदद..!!
दिखावटी मदद..!!
Ravi Betulwala
मेरा दिल भर आया बहुत सा
मेरा दिल भर आया बहुत सा
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं इक रोज़ जब सुबह सुबह उठूं
मैं इक रोज़ जब सुबह सुबह उठूं
ruby kumari
मैं एक पल हूँ
मैं एक पल हूँ
Swami Ganganiya
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*प्रणय*
जिंदगी
जिंदगी
हिमांशु Kulshrestha
Confession
Confession
Vedha Singh
कभी पत्नी, कभी बहू
कभी पत्नी, कभी बहू
अनिल "आदर्श"
"कैसा जमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
पापा का संघर्ष, वीरता का प्रतीक,
Sahil Ahmad
मेरे ताल्लुकात अब दुश्मनों से है खुशगवार
मेरे ताल्लुकात अब दुश्मनों से है खुशगवार
RAMESH SHARMA
अजनबी की तरह साथ चलते हैं
अजनबी की तरह साथ चलते हैं
Jyoti Roshni
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
4707.*पूर्णिका*
4707.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
“की एक जाम और जमने दे झलक में मेरे ,🥃
“की एक जाम और जमने दे झलक में मेरे ,🥃
Neeraj kumar Soni
बताओ कहां से शुरू करूं,
बताओ कहां से शुरू करूं,
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
gurudeenverma198
सहपाठी
सहपाठी
Shailendra Aseem
बाबा भीमराव अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस
बाबा भीमराव अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस
Buddha Prakash
बिना काविश तो कोई भी खुशी आने से रही। ख्वाहिश ए नफ़्स कभी आगे बढ़ाने से रही। ❤️ ख्वाहिशें लज्ज़त ए दीदार जवां है अब तक। उस से मिलने की तमन्ना तो ज़माने से रही। ❤️
बिना काविश तो कोई भी खुशी आने से रही। ख्वाहिश ए नफ़्स कभी आगे बढ़ाने से रही। ❤️ ख्वाहिशें लज्ज़त ए दीदार जवां है अब तक। उस से मिलने की तमन्ना तो ज़माने से रही। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*फंदा-बूँद शब्द है, अर्थ है सागर*
*फंदा-बूँद शब्द है, अर्थ है सागर*
Poonam Matia
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
Ajit Kumar "Karn"
मोहब्बत की राहों में चलिए जरा संभल कर... (ग़ज़ल)
मोहब्बत की राहों में चलिए जरा संभल कर... (ग़ज़ल)
पियूष राज 'पारस'
आज़ादी का जश्न
आज़ादी का जश्न
अरशद रसूल बदायूंनी
मेरे अंतस मे बह गए
मेरे अंतस मे बह गए
Meenakshi Bhatnagar
कुछ दर्द कहे नहीं जाते हैं।
कुछ दर्द कहे नहीं जाते हैं।
लक्ष्मी सिंह
शांत मन को
शांत मन को
Dr fauzia Naseem shad
अरे...
अरे...
पूर्वार्थ
कुछ न जाता सन्त का,
कुछ न जाता सन्त का,
sushil sarna
I miss my childhood
I miss my childhood
VINOD CHAUHAN
Loading...