#गीत//गधे सिंह नहीं बनते
#गधे सिंह नहीं बनते
दर्पण देखें कौन दिखाते,श्रेष्ठ स्वयं को लोग जताते।
सिंह-त्वचा पहने फिरने से,देख गधे सिंह न बन जाते।।
लाज करो झूठे इंसानों,
भूल सुधारो रे नादानों,
सच जब भी आगे आएगा,
मुँह की खाओगे तुम मानों,
भौकें जो कुत्ते सच में वो,काट नहीं तन को हैं पाते।
सिंह त्वचा पहने फिरने से,देख गधे सिंह न बन जाते।।
क़ागज़ के फूलों फूलो मत,
व्यर्थ गगन झूला झूलो मत,
औक़ात लिए हो काँटों-सी,
कोमल है हृदय उछालो मत,
देख तुम्हारा चाल दिखावा,दूर हुए जन मन हैं जाते।
सिंह त्वचा पहने फिरने से,देख गधे सिंह न बन जाते।।
#आर.एस.प्रीतम