गद्दार हो गए हम
दिल के तुम्हारे जब से सरकार हो गए हम
सारी बुराइयों के अवतार हो गए हम
उलझे जो जा के तेरी जुल्फों की झुरमुटों में
रुसवा शहर में अपने इस बार हो गए हम
हालत हुई है ऐसी सब लोग कह रहे हैं
पहले थे काम के अब बेकार हो गए हम
जब से उतारी हमने ये जात वाली केंचुल
तब से खुदा के घर में स्वीकार हो गए हम
झूठों के अंजुमन में सच बात बोलते ही
खोई वतनपरस्ती गद्दार हो गए हम