गद्दारी मंजूर नहीं
मेरे प्यारे भारत देश से यदि किसी को प्यार नहीं है,
और वोह इसका गुणगान करने, राष्ट-गान गाने और इसकी जय-जयकार करने में उसे बड़ी तकलीफ होती तो ऐसे गद्दारों को मेरे देश में रहने का कोई हक नहीं हैं.अरे दुष्टों मेरे वतन की आलोचना करने से पूर्व अपने गिरेबाँ में झांक के तो देखो तुमने किया क्या है मेरे देश के लिए ?, तुम्हें हक किसने दिया इस पवित्र भूमि के खिलाफ बोलने का? कैसी है तुम्हरी तहज़ीब, ? क्या यह है तुम्हारी इंसानियत ? जिस थाली में खाना उसी में छेद करना . धिक्कार है तुमको , लानत है तुमको . गद्दारी की सज़ा मृत्यु-दंड है. मगर यह हम भारत -प्रेमियों की शराफत ,हमारी इंसानियत है ,और तुम्हारा सौभाग्य की तुम इतना ज़हर उगलने के बावजूद ज़िंदा हो . तुम्हारे जैसे नाग को फ़ौरन कुचल देना चाहिए . या अपने देश से धक्के देकर निकाल देना चाहिए . जैसे हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने ज़ालिम अंग्रेजों को निकाल बाहर फेंका . वैसे अब वक्त आ गया है की ”गद्दारों भारत छोडो ” या ”गद्दारों को फांसी दो ” नामक आन्दोलन पुन: शुरू कर देना चाहिए युद्ध-स्तर पर .
जय हिन्द -जय-भारत