गण देव
गण देव
देव देव गण देव,
बुद्धि प्रिय बुद्धिनाथ,
आपकी शरण पड़े,
बुद्धि दान दीजिए।
अंब अंब वाणी अंब,
मातु करो न विलंब,
चेतना की शक्ति बांँट,
कृतकृत्य कीजिए।
कृष्ण कृष्ण, योगी कृष्ण,
पांडवों के मित्र कृष्ण,
दुविधा में पार्थ आज,
भ्रम दूर कीजिए।
भ्रमित सभी समाज,
ताकते तुम्ही को आज,
हाथ जोड़ पूछते हैं,
राह बता दीजिए।