‘गणेशा’ तू है निराला
‘गणेशा’ तू है निराला
धरती, आकाश, हवा, पानी क्या,
पत्थर, मिट्टी, हर रंग में तू समाया।
दुख हरता, खुशियां बांटता तुझको पाया,
इसीलिए मैंने, तुझको मेरे घर है बुलाया।।
‘गणेशा’ आया तु भी, मुझको संभाला,
धन्य धान्य, रिद्धि सिद्धि भी संग ले आया।।
‘लंबोदर’ उदर देख आपका मोदक का भोग लगाया,
लड्डू, पेड़े, हर एक मिठाई से तुझे रिझाया।।
‘एकदंत’ बुद्धि, बल, चतुरता ही नहीं संग लाया,
दरिद्रता से तूने मुझको निकाला।।
‘गजानन’ माटी के पुतले को जब जल में डुबोया,
दिन निकला सूना और दिल फूट-फूट कर रोया।।
‘गणपति’ तेरा नूर, सुरूर है निराला,
मेरे घर को स्वर्ग बनाया।।
‘मूषक वाहन’ बच्चों ने भी भरपूर प्यार लुटाया,
द्वार मेरे घर का, तेरे लिए हमेशा के लिए खुलवाया।।
#seema tu_hai_na