*”गणपति देवा”*
“गणपति देवा”
गणपति देवा करूँ तेरी सेवा ,
सेवा से सब विघ्न टरे।
माथे सिंदूर तिलक सोहे ,गले वैजयन्ती माला।
ओढे पितांम्बर वक्ष जनेऊ धारण कर में भाला।
गणपति देवा करूँ तेरी सेवा
सेवा से सब विध्न टरे।
कनक सिंहासन पे रिद्धि सिद्धि संग विराजे।
शुभ लाभ संग मंगलकारी ,तृष्टि पुष्टि पौत्र मूषक वाहन भी संग आजे।
हरी हरी दूब फल पुष्प चढ़े मोदक मेवा।
गणपति देवा करूँ तेरी सेवा ,
सेवा से सब विध्न टरे।
कष्ट मिटाते दुःख दूर कर सुख मनोवांछित फल पावे।
हिय में बसे गणपति जी ,भक्ति भाव से वंदन करते जावे।
मंद बुद्धि मूढ़ कुटिल खल भारी,
हे गिरजा सुत लंबोदर पितांम्बर धारी।
गणपति देवा करूँ तेरी सेवा,
सेवा से सब विघ्न टरे।
शिव गौरी का ध्यान धरूँ ,हॄदय में प्रेम बसाय।
गणपति बप्पा जी की वंदना ,चरणों मे शशि नवाय।
शिव तात उमा है माता ,सुमिरौ मैं बारम्बार।
हाथ जोड़ शशि विनती करूँ गणपति जी तुम्हीं हो जीवन आधार।
शशिकला व्यास✍️