गणतंत्र हमारा (गीत)
गणतंत्र हमारा (गीत)
■■■■■■■■■■
राम न जाने क्या होगा
कल को गणतंत्र हमारा
(1)
कुर्सी का हर पाया
हमने देखा यह अकड़ा है ,
जितना कद है जिसका
उससे ज्यादा गर्व बड़ा है
सब अन्दर से घायल हैं
सबको लगता मैं हारा
(2)
सब घावों पर नमक लगाने
मुठ्ठी बाँध खड़े हैं
अपनी- अपनी जिदें
आँख में लाली लिए अड़े हैं
हाहाकार मचा है नभ में
क्रोधित है जलधारा
राम न जाने क्या होगा
कल को गणतंत्र हमारा
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.) मो. 9997615451