गणतंत्र मुबारक हो तुमको
“हर चौराहे पे जहां सीता लुटी जाये
और चंद रुपयो मे वर्दी बीक जाये
नेताओ के ऐश मे देश बलि हो जाये
वह गणतंत्र मुबारक हो तुमको ,
जहां गरीब से रोटी छिनी जाये
और कानून दुश्मन बनके डराये
न्याय के लिये उम्र छोटी पड जाये
वह गणतंत्र मुबारक हो तुमको ,
भ्रष्टाचारी और बलात्कारी नेता
कानून कि गोद मे बैठ बंसी बजाये
और अफसर जो सहज बीक जाये
वह गणतंत्र मुबारक हो तुमको ,
गरीबो का हक मारके खाने वाले
कठपुतली बने देश पूंजीपतियो कि
और सब नरभक्षक शासक बन जाये
वह गणतंत्र मुबारक तुमको हो ,
जहां पर न्याय बिकता हो पैसो मे
देश का यौवन लुटता हो क्लेशो मे
जातीवाद निरन्तर फैलाने वाला
वह गणतंत्र मुबारक हो तुमको ॥ “