गणतंत्र दिवस
आज हम राष्ट्रीय पर्व मनाते हैं।
गीत खुशी के गाते हैं।
इस दिन ही लागू हुआ संविधान हमारा।
आज भी मजदूर बना हुआ, है बेचारा।
समानता का है लागू हुआ अधिकार।
पर! दिखाई नहीं देती है समानता।
छिना झपटी चलती है, फिर हुई हार जीत की।
बस मनाते रहो आप तो, कऱो सब ही का ध्यान।
लोकतंत्र की यह डगर, कभी न हुई आसान।