गणतंत्र दिवस
प्रत्येक वर्ष छब्बीस जनवरी को,
हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं।
आजाद वतन के संविधान का,
सुखद शुभग गुण गाते हैं।।
कितने अगणित बलिदानों ने,
स्वतंत्रता का है दान दिया।
छीन लिया था जो गोरों ने,
हमें वापस वो सम्मान दिया।।
देशवासियों! खुलके जी लो,
जो जी चाहे करलो आज।
संविधान है बता रहा ये,
सजा रहे अपना ये समाज।।
मुक्त कंठ से ऐक्य हो हम,
गणतंत्र का गीत गाते हैं।
प्रत्येक वर्ष छब्बीस जनवरी को,
हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं।।
गाँव- गाँव की गलियारों तक,
भारत का तिरंगा लहराता है।
भारत माता की जय-जय से,
दिक् गूँजयमान हो जाता है।।
जात-पात का भेद मिटाकर,
मिल-जुलकर हम जीते हैं।
अमृत हो या विष का प्याला,
खुशी-खुशी सब पीते हैं।।
ना तो कोई हमको है सताता,
न हम किसी को सताते हैं।
प्रत्येक वर्ष छब्बीस जनवरी को,
हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं।।
हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं।।
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रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृहजिला- सुपौल
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597