गणतंत्र दिवस बसंत पंचमी (गीता एवं पवन छंद)
गणतंत्र दिवस एवं
बसंत पंचमी की हार्दिक
शुभकामनाओं सहित
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गीता छंद 26 मात्राएँ
11212,11212,11212
1121 अंतिम गुरू लघु ।
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कर जोडते हैं बाल मिलकर
जिंदगी से ऊब।
अब हम सभी मिलकर पुकारें,
ज्ञान दो माँ खूब।
हे भगवती भर दे भवानी,
भाव का भंडार।
हर शब्द का हो अर्थ पावन,
लोक हित आधार ।
लेकर तिरंगा हाथ में जय,
भारती की बोल ।
दिखला सकें संसार भर को,
है वतन अनमोल।
चाहे भले ही प्राण जायें,
देश हो आबाद।
सबके मुखों पर नाम हो,
कुर्बानियों में याद।
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पवन छंद 12 वर्ण
5/7 पर यति
भगण तगण नगण सगण
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चाहत छौना चरणन रति दो
सुंदर स्वामी रघुकुल पति दो ।
शारद माते सुखद सुमति दो ।
प्रान तजूँ तो अनुपम गति दो।
शब्द कहीं भी लय तज भटके।
सत्य कहूँ जो नहिं जन खटके।
भारत माता जय जय धुनि हो।
हो जग वंदा गुरु पद पुनि हो ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
26/1/23