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17 Feb 2024 · 1 min read

गठरी

अहसानों के
बोझ तले छोड़ गया
आज वो अपने
अहसास
ले गया मन में
कुछ सवाल
निर्मल भावनाओं के
लांघी थी क‌इयों ने
उसके मन की
सीमा रेखा
आज….
उसकी देह ने
चार कंधों पर
पार कर दी देहरी
मुड़कर नहीं देखा फिर
खत्म कर
अपना बोझ
क‌ई मन पर
छोड़ गया
कुछ अनसुलझे
सवालो की एक
गठरी
डरते हैं सभी
उसे खोलने से
शायद उसमें बंद हो
सच का आईना
कौन खोले??
कौन सामना कर सके-
खुद का??
आईना तो सदा-
असली सूरत दिखाता।।

संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर ( राज.)

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