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18 May 2024 · 1 min read

गठबंधन

गठ बंधन:

मानो ब्रह्मांड ने ही
सोच समझ लिया
गठ बंधन रचाने का
और जाना कि
गठ बंधन ही तो है सब कुछ
धरती आकाश का गठ बंधन
क्षितिज का गठबंधन
धरा गगन सागर की
सीमा रेखा का
सूरज और चन्द्रमा का
नियमानुकूल गठ बंधन
बादलों का वर्षा से
धुले आकाश का
इन्द्रधनुष से
गगन पर नवरंग की कूची
मानों महान कलाकार ने
लहरा दी
गठ बंधन केवल
वर वधू का ही नहीं होता
परिवारों का भी होता है
संघ समुदाय का भी होता है
जल का भी होता है.
समर्पण गठ बंधन
झरने से नदी
नदी से सागर
इसी गठ बंधन में
परिणति है.
समपर्ण है-
परायणता है
और यही अमृत नियम है.
सृष्टि का
गठबंधन में ही
प्रेम है
सेवा सत्कार है .
आदि और अन्त है
अनन्त गठ बंधन ।

डॉ. करुणा भल्ला

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