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10 Jun 2024 · 1 min read

गज़ल

रोशनी देख कर हम इधर आ गये।
भूल हमसे हुई हम किधर आ गये।।

आम इंसान की बात हम क्या करें।
अब यहां चींटियों के भी पर आ गये।।

बंद आंखें किये सब हैं बैठे हुए।
कुछ लुटेरे नगर में नजर आ गये।।

रात ढलती रही दीप जलता रहा।
ये पतंगे कहां से इधर आ गये।।

घर गरीबों के थे जो जलाए गए।
आज पूनम की जद में ये घर आ गये।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव” पूनम “

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