गज़ल
रोशनी देख कर हम इधर आ गये।
भूल हमसे हुई हम किधर आ गये।।
आम इंसान की बात हम क्या करें।
अब यहां चींटियों के भी पर आ गये।।
बंद आंखें किये सब हैं बैठे हुए।
कुछ लुटेरे नगर में नजर आ गये।।
रात ढलती रही दीप जलता रहा।
ये पतंगे कहां से इधर आ गये।।
घर गरीबों के थे जो जलाए गए।
आज पूनम की जद में ये घर आ गये।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव” पूनम “