गज़ल
दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
खुद से भी कभी प्यार किया कीजिए।
भरी महफ़िल में तन्हा रहना अच्छा नहीं है,
चुनिंदा दोस्तों से भी पहचान किया कीजिए।
हम जैसे नादानों को नजरंदाज करने वालों,
अपनी गिरेबां में झांककर भी देखा कीजिए।
ज्यादा सयानों से पहचान भी ठीक नहीं है,
कुछ हम जैसे नादान भी रखा कीजिए।
~करन केसरा~