Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2023 · 1 min read

गज़ल

गज़ल
बह्र 1222 1222 1222 1222
मुहब्बत की नहीं जाती सियाने सब बताते है
हमेशा रास्ते खुद निकट हो फिर से मिलाते है.
नहीं सोचा कभी जिसको यही हमसफर नाते है
हमेशा वादें रातों के सुबह में टूट जाते है.
जिसे हम चाहते हैं रोज बन चाहत निभाते हैं
भुले सा भेद रखते और सब ही भूल जाते हैं.
सदा से मगन बढियां मगर पैसे सोच घाटे हैं
लियाकत दौड़ नापें असल कोरा सा दिखाते हैं.
बताना अगर कुछ चाहे चुपी आलम दिखाते हैं
भरी बारिश हुई तो जख्म दिल में ही छुपाते हैं.
जमाना ही बदल रेखा अब कैसे रिश्ते नाते हैं
सगे माँ बाप को बच्चें सदा से ही रुलाते हैं.
रेखा मोहन पंजाब

Language: Hindi
2 Likes · 142 Views

You may also like these posts

हममें आ जायेंगी बंदिशे
हममें आ जायेंगी बंदिशे
Pratibha Pandey
गांधी के साथ हैं हम लोग
गांधी के साथ हैं हम लोग
Shekhar Chandra Mitra
12) “पृथ्वी का सम्मान”
12) “पृथ्वी का सम्मान”
Sapna Arora
निशाना
निशाना
अखिलेश 'अखिल'
मलाल आते हैं
मलाल आते हैं
Dr fauzia Naseem shad
3940.💐 *पूर्णिका* 💐
3940.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🌹अपना ख्याल रखियें🌹
🌹अपना ख्याल रखियें🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
मैं उस बस्ती में ठहरी हूँ जहाँ पर..
मैं उस बस्ती में ठहरी हूँ जहाँ पर..
Shweta Soni
कौन हो तुम मेरे?
कौन हो तुम मेरे?
Jyoti Roshni
तुम - हम और बाजार
तुम - हम और बाजार
Awadhesh Singh
फटा आँचल- जली रोटी
फटा आँचल- जली रोटी
Usha Gupta
वो इँसा...
वो इँसा...
'अशांत' शेखर
"गंगा माँ बड़ी पावनी"
Ekta chitrangini
दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
Piyush Goel
****महात्मा गाँधी****
****महात्मा गाँधी****
Kavita Chouhan
प्रार्थना
प्रार्थना
Indu Singh
ताजमहल
ताजमहल
Satish Srijan
अतिथि
अतिथि
surenderpal vaidya
साँसों के संघर्ष से, देह गई जब हार ।
साँसों के संघर्ष से, देह गई जब हार ।
sushil sarna
इस कदर मजबूर था वह आदमी ...
इस कदर मजबूर था वह आदमी ...
Sunil Suman
* आख़िर भय क्यों ? *
* आख़िर भय क्यों ? *
भूरचन्द जयपाल
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
आर.एस. 'प्रीतम'
मैं हिन्दुस्तानी !
मैं हिन्दुस्तानी !
Shyam Sundar Subramanian
■ आज का आखिरी शेर।
■ आज का आखिरी शेर।
*प्रणय*
मेरे राम
मेरे राम
Sudhir srivastava
दिनकर शांत हो
दिनकर शांत हो
भरत कुमार सोलंकी
मजबूत बंधन
मजबूत बंधन
Chitra Bisht
मुक्तक
मुक्तक
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कविता
कविता
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...