गज़ल
======©}{ग़ज़ल}{®======
गर मुहब्बत तेरी मयकशी है तो क्या
मयकशी ही मगर खुदकुशी है तो क्या
दिल मचलने लगा खुदकुशी के लिए
जान लेवा तेरी आशिकी है तो क्या
क्यूं मुहब्बत में कुर्बान हुआ दिल तेरे
दिल को भाए न कोई हंसी है तो क्या
बेवजह तेरी यादें सताती है क्यों
तू नहीं गर यहां हर खुशी है तो क्या
बेसबब जिंदगी गर यूं लगने लगी
तु नहीं है अगर जिंदगी है तो क्या
©®©®© ®©®©®
© गौतम जैन ®