गज़ल
ज़ुल्फो से घटा आँखो से जाम मिल जाए..
तुम जो राज़ी हो तो मोहब्बत को मुकाम मिल जाए..
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हाथो मे तेरा हाथ और ज़िंदगी को तेरा साथ..
मज़ा आ जाए जो ये हसरते तमाम मिल जाए..
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जल उठूंगा मै एक बुझे दिये की तरह..
एक रोज़ जो तेरा इशारा सरे-आम मिल जाए..
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मै तो बेमोल हू मेरी कोई किमत नही बाज़ार मे..
मै कीमती हो जाऊ जो तेरे ओंठो पर मेरा नाम मिल जाए..
(ज़ैद बलियावी)