गज़ल
करने रजनी को धवल शीतल,
रात भर तारे नभ में हैं चमकते ।
विरह में बेचैन सारे आशिक बस करवटें हैं बदलते ।
टकटकी लगाए टुकुर-टुकुर प्रिय को हैं निहारते।
कभी प्रेयसी के लब हैं काँपते
और छिप कर नैना हैं सिसकते।
दिन रैन अश्रु मोती बन झरझर झरने से झरते
आँखों से सुरमा काजल गालों पर आ पसरते ।
हर पल नीलम सब आशिक हैं प्रेम अग्नि में जलते
कुछ स्वप्न तो पूरे होते, कुछ अरमान मन में है सुलगते।
नीलम शर्मा