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17 May 2023 · 1 min read

गज़ल सी कविता

हसरतें कत्ल कर डाली,
ख्वाबों को कुचल डाला ।
हुआ एहसास -ए- हकीकत,
खुद को हमने बदल डाला ।
हर रात मिली नयी उलझन,
हर दिन नया दर्द बन गया ।
जिंदगी तूने न जाने हमें,
कैसे अजब इम्तिहां में डाला।
कहीं अनजान से चेहरे तो,
कहीं तन्हाई अपनों के बीच।
क्या कहें, और किससे कहें,
सब दिल में दफन कर डाला। ‌ ‌‌
कभी तो हम पर भी होगी,
नज़र – ए – इनायत उसकी।
बस यही सोचकर “कंचन”
खुद को रब के हवाले कर डाला।

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
ता० :- १५.०९.२००५.
सुधार सहित :- ०२.०५.२०२१.

Language: Hindi
213 Views
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