गज़ल ( बारिश की चंद बूंदों में वो आफताब हो गई )
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दिल जो मिले खुशनुमा कायनात हो गई
चांद छिपा रहा मगर चांदनी रात हो गई
बिजली भी तेज चमकी और बरसात हो गई
बारिश की चंद बूंदों में वो आफताब हो गई
बंजर जमीं पे जैसे किस्मत भी साथ हो गई
अनकही थी धडकन फिर भी बात हो गई
शरमो-हया में छिपकर ये पलकें भी झुक गई
लब थरथरा उठे जब मुलाकात हो गई
आज मौसम भी ऐसा बदला गम भी हवा हुए
खुशीयों की महक से जवां कायनात हो गई
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“गौतम जैन”
9866251031