गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
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गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
हर रोज़ इक नया सूरज, तो इक नया चांद उगाता हूं
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
हर रोज़ इक नया सूरज, तो इक नया चांद उगाता हूं
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”