गज़ल (कमाल)
बना कर के खुदा ने दिल क्या कमाल कर दिया।
भरे जज्बात रिश्तों के हमें क्या निहाल कर दिया।।
मिला असबाब खुशियों का तुझे मालिक के सजदे।
कसर बाकी रही थोड़ी खुदा से क्या सवाल कर दिया।।
बहुत शीशा ये नाजुक है हिफाजत से जरा रखना।
बिखरा है ये टुकड़ों में जिगर का क्या हाल कर दिया।।
बदन पे वर्क चांदी का बनाया तुझको फुरसत से।
घटा सावन की बालों में चेहरा क्या गुलाल कर दिया।।
सजने की क्या जरूरत है रु ए सादा नक्श को।
हुस्न बेनकाब हुआ तबियत को क्या मुहाल कर दिया।।
कदम बोशी की हसरत में हंगामा बहुत बरपा।
कातिल अदा ने आशिक को क्या जमाल कर दिया।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (एम पी)
9479611151