गजल_जीवित था रहना चाहता सम्मान के लिए
जीवित था रहना चाहता सम्मान के लिए।
इस अर्थ ने रखा परंतु, अपमान के लिए।
सब कुछ जला दे दर्द के मीनार मत जला।
कुछ पास में रहने तो दे श्मशान के लिए।
सूरज उठेगा कल सुबह मेरी पहचान साथ ले।
अभी तो मशाल साथ हो पहचान के लिए।
सब कुछ लुटा दे आदमी का नाम मत लुटा।
कुछ पास में रहने ही दे इत्मीनान के लिए।
धरती गलेगी शोर में कयामत के दिन अरे।
तबतक यहाँ संग्राम है इस प्राण के लिए।
सब कुछ गला दे बर्फ सा संकल्प मत गला।
कुछ पास में रहने दे नवनिर्माण के लिए।
फूलों के सारे गंध हा! यहाँ दुर्गंध हो रहा।
अभिशप्त युग खड़ा यहाँ वरदान के लिए।
सब कुछ घटा दे सिर्फ कोई शुन्य मत हटा।
कुछ पास में रहने दे मेरे परिमाण के लिए।
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जून 78