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21 Nov 2018 · 1 min read

गजल

काश मेरा भी एक फ़साना हो दिल मेरा उसका आशियाना हो

दो जिस्म एक रूह हैं हम
आजमा ले जिसे आजमाना हो

मुस्कुरा दे गर देख वो मुझको लबों पे हँसी का आना-जाना हो

दिल में कशमकश बढ़ जाए हाल-ए-दिल जब जताना हो

इत्तला करूँ तो करूँ उसको कैसे बाद इसके छिपना-छिपाना हो

रूठ जाए गर तो मनाऊँ उसे
पास मेरे हँसाने का एक बहाना हो

हँसी खुशी काट लेंगें जिंदगी गर घर प्यार का खज़ाना हो।। अनिल कुमार “निश्छल”

1 Like · 3 Comments · 355 Views
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