गजल
दे रहे हो सदा क्यों मिटाने के बाद |
लौट आया यहाँ कौन जाने के बाद ||
++
ये दवा है या दारू है पहले बताते,
इल्म झाड़ो न अपना पिलाने के बाद |
++
हाथ आयेगी दौलत न सोचो सनम,
खाक पाओगे मुझको जलाने के बाद |
++
नींद आती किसे है यहाँ पर भला,
ख्वाब पलकों में कोई जगाने के बाद |
++
अब घटाएं हटीं रुक गयीं बारिसें,
गूँथ लीं जुल्फें उसने सुखाने के बाद |
++
सिर्फ सीखा हूँ कोई किसी का नहीं,
अपनी हस्ती ये सारी लुटाने के बाद |
++
कब्र बोलूं इसे , क्यों कहूं रास्ता,
जो बना घर किसी का गिराने के बाद |
++
जुगनुओं को सताने लगे हैं “मनुज”,
वो हथेली पे सूरज उगाने के बाद |