गजल
बाद मरने के मिलेंगे पल नहीं।
साथ बैठे पर कोई हलचल नहीं।।
ख्वाब तो देखे बहुत कल रात को,
पर हुआ अब तक तो कुछ हासिल नहीं।।
हम तुम्हारे है यही कहते रहे,
आज मैय्यत में वही शामिल नहीं।।
रोज सजते थे हमारे नाम से,
आस उनके ही तो अब काबिल नहीं।।
रचनाकार :- कौशल कुमार पाण्डेय “आस”