गजल
किसी अपने ने मुझे इस तरह सताया
गले से लगाकर मुझे मेरा घर जलाया
नही लगाया हमने इल्जाम उन पर
लेकिन फिर उन्होंने मुझे गैर का बताया
उनके अलावा कोई नजारा भी न देखा
नाम जोड़कर किसी के साथ मुझे सताया
उन्होंने हर जगह किया जलील मुझको
बाद में सहेलियों से भी जलील करवाया
प्यार से पानी मे घोल कर दिया जहर
जव हँसकर पी लिया तो कहकहा लगाया
अपना बनाकर हमे भटकने को छोड़ दिया
अंजुमन में बुलाकर मुझे जलील करवाया
मैंने भी हँसकर महफ़िल में उनका नाम पूछा
ये सुनकर महफ़िल में उसने अश्को को बहाया
अब न करना किसी से प्यार दुनिया में
धोखा देकर उसने ये ऋषभ को बताया