गजल
2122 2122 2
जब हवा मद मस्त चलती है।
यह दवा सी सबको लगती है।*0*
रुत चली आई बड़ी प्यारी सी।
देख कर तबियत मचलती है।*1*
शाख पर कलियाँ खिली है यूँ।
गंध टुकडो में बिखरती है। 2
आज ले आई सनम यादें।
यादे’ पल पल तेरी चुभती है।*3*
तुम चले जब दूर जाते हो।
याद फिर क्यों हमसे मिलती है।*4*
यह बहारे जान ले लेंगी।
चाहते फिर से उबरती है।*5*
मर न जाऊं याद से तेरी।
साँस भी रुक रुक के चलती है।*6*
आँख की पलके गिरे ऐसे।
मानो दिल से सांस झरती है।*7*
ठंड पड़ जाती कलेजे में।
बर्फ कन कन कर पिगलती है।*8*
रूप तेरा देखकर सहमी।
धूप छन छन कर निकलती है।*9*)