गजल
मेरी हर शाम खुशनुमा सी होगी
जब तेरी पनाहों में ज़िंदगी होगी
मेरी पलकों में है उनकी सूरत
उनके लिये तो ये बेबकूफी होगी
जो मेरी नजरों में इबादत सी है
वो तेरी नजर में आशिकी होगी
बिना तुम्हारे क्या बताऊँ तुमको
ताउम्र दिल मे ज्वालामुखी होगी
तुम मेरे पास आकर बैठो तो
तब मेरे दिल मे ताजगी होगी
कही वो मेरी आँखों मे खो गई
तो वो पल मेरी लिये ज़िंदगी होगी
बस एक बार जुल्फों को फैला दो
कसम से भागवत सी शायरी होगी
दूर हुआ तो कसम से तुम बिन
कटी पतंग सी मेरी ज़िन्दगी होगी
रचनाकर – ऋषभ तोमर