गजल
जमी से उस आसमाँ तक हर जगह देखलो
जहाँ कोई दिल की सुनता हो उसको देखलो
इधर-उधर की सोचना अच्छी बात नही है
बस तुम तो उसे एक नजर प्यार से देखलो
मथुरा वृंदावन मे वो है मुझे नही मालूम है
मगर कान्हा दिल में बसता है उसे देखलो
फलक पर पहुँचने का कोई रास्ता नही होता है
पर एक बार माँ बाप के पैरों में झुक कर देखलो
हौसलो को अपने कभी नम मत होने देना
काँटो में ही लगा होता है गुलाब उसे देखलो
पत्थर दिल समझकर तुम मुझसे नफरत मत करो
पत्थरो से ही फूटता है साथी झरना उसे देखलो
प्यार की तपिश से जलकर तुम मौत को गले मत लगाओ
गजलो में छिपी है हिमालय जैसी शीतलता उसे देखलो
मरकर भी तो जलना ही है चिता में जाकर के साथी
तो क्यो न ज़िन्दगी में जीते जी तुम जलकर देखलो
खा गये है ये शहरो को बनाने वाले लोग जंगल को
ए परिंदों तुम जाकर किसी पिजरे में बसेरा देखलो
ये प्रदूषण ‘ऋषभ’ इन बड़े बड़े शहरों की ही देन है
गर शुद्ध हवा लेनी है तो गांव के पुराने घर को देखलो
रचनाकार-ऋषभ तोमर{Radhe}