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3 Jul 2021 · 1 min read

गजल

दोसती के हाथ हरदम, बा बढावत लोगवा।
नेहिया के डोर हरदम, बा थमावत लोगवा।

जिंदगी में घुल गइलन,मीठ चीनी के तरे।
काम सांचो बात हरदम,बा करावत लोगवा।।

दोसती के दोष नइखे, बदनसीबी ढेर बा।
आग लागल जिंदगी में,बा जरावत लोगवा।।

देत नइखे साथ हरदम,दोसती के नाम पर।
साथ देबे के समय मे,बा सतावत लोगवा।।

प्रेम के अब नाम पर तू, पाठ पूजा छोड़ दs।
राम जइसन नाम हमके,बा रटावत लोगवा।।

गणेश नाथ तिवारी “विनायक”

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