गजल
प्रेम तेरा फले दुआ भी दो
प्यार के रोग की दवा भी दो
याद तेरी भुला नहीं पाऊँ
रोग में आप यह सजा भी दो
आ चुकी हूँ गिरफ्त में तेरी
साथ मेरा निभा वफा भी दो
बात मेरी करे सभी पूरी
प्रेम के वेष में खुदा भी दो
प्रेम में हो गई दिवानी मैं
बन खुदा आज तुम नफा भी दो
बीत पाये न रैन दुख की अब
तुम गले से लगा हसा भी दो
चाँद बैचेन देखने को है
चेहरे को जरा दिखा भी दो
आज दुल्हन नयी नवेली हूँ
आप घूँघट जरा हटा भी दो
साँस मेरी हरेक तेरे में
रोज साँसे मुझे दिला भी दो
हूँ अनाडी अभी इश्क में मैं
प्रेम का पाठ अब पढा भी दो
प्यार में आपके पगी हूँ मैं
प्यार का वो मुझे सिला भी दो
होश खोये पता न क्यों मेरे
जाम में मधु मिला पिला भी दो
☀☀☀☀☀डॉ मधु त्रिवेदी ☀☀☀☀☀