गजल
इस जिन्दगी मैं क्या है दरिया सी रवानी है
मौजो को बता देना लगती ये सुहानी है ।।
अल्फ़ाज पुराने हैं , अंदाज नये से है
हो कुछ भी मगर हमको, अब बात बतानी है
है दोस्ती भी क्या शै , रिश्तो से तो ऊपर की
मिलती है ये किस्मत से , ये प्यार के मानी है
रोको न इसे लोगो , ये बात सभी मानों
खुद राह बना लेगा , बहता हुआ पानी है ।।
देना है गवाही क्यों , सबको ये पता है अब
जर्रे पे लिखा है सब , पहचान पुरानी है
माधुरी स्वर्णकार____