गजल
तुम को क्या मालूम है कितनी मोहब्बत है मुझे।
जान से भी मुझको प्यारी तेरी इज्जत है मुझे।
नेकियां करते रहो,हरदम बुराई से बचो।
यह मेरे मां-बाप की अच्छी नसीहत है मुझे।
इश्क़ पाकीज़ा हो गर,समझो इबादत की तरह।
हां मगर जज़्बात से खेलो तो दिक्कत है मुझे।
गर हमारे और तुम्हारे मुनफरिद खयाल है।
इसका यह मतलब नहीं है तुम से नफरत है मुझे।