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20 Jun 2017 · 1 min read

कविता : ??अ दिल मायूस न हो??

चलेंगे वहीं तक हम,जहां क़दम ले जाएंगे।
अ दिल मायूस न हो,मंज़िलल तो हम पाएंगे।।

मंज़िल कहीं दूर नहीं,आरज़ू बढ़ती जाए।
एक नूर की तड़फ है,जिसे पा मुस्क़राएंगे।।

दिल की क़शीश बुझे,दीपे-मोहब्बत जले।
तमन्नाएं न रहें अधूरी,कर ऐसा दिखलाएंगे।।

दिल कभी हारे नहीं,ऐसी कोई शक्ति मिले।
जीतलें दिल की बाजी,संकट सब शरमाएंगे।।

सावन-सा मधुर हो,मेरे दिल का हर सपना।
जब कभी थककर,रातभर हम सो जाएंगे।।

हिम्मत से दुनिया भी,जीत सकते हैं,दोस्तों।
आओ भाग्य भूल हम,मेहनते-ग़ुल खिलाएंगे।।

कमल कीचड़ में खिले,सबको पर भाए है।
प्रतिकूलता तोड़कर के,अनुकूलता हम लाएंगे।।

सोना तपकर आग में,जेवर बनता है सुनलो!
श्रम की आग में जल,इंसानियत सीख जाएंगे।।

पानी अमृत हो जाए,जोरों की प्यास लगी हो।
ये बात हमतुम मिल,सारे जग को समझाएंगे।।

“प्रीतम”तेरे दीद को,तरसती अलसाई-सी आँखें।
काश!किसी बहाने से,तेरे दीदार भी हो जाएंगे।।

……….राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
??????????????

Language: Hindi
259 Views
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