–माँ ममता की मूरत–
माँ ममता की मूरत माँ देवी का अवतार यहाँ।
कलेजे के टुकड़े को करती है बहुत प्यार यहाँ।।
माँ का हृदय गंगाजल-सरिस प्यार अमृत की धारा।
खुद सो गीले में बेटे को दे सूखा सार यहाँ।।
पूत जाए प्रदेश में माँ को चिंता सताए।
बिन बेटे के हृदय खलता रहे घर-संसार यहाँ।।
पूत कपूत हो जाए पर माँ की ममता न मिटती।
माँ करुणा की देवी देती सुख की बहार यहाँ।।
माँ का हृदय गहरा सागर चित हिमालय-सा विशाल।
बेटे की गलतियाँ भूले जोड़े स्नेह-तार यहाँ।।
खुद भूखी रहले चाहे औलाद का पेट पर भरती।
हर कुर्बानी को तत्पर रहे सहे सब खार यहाँ।।
माँ के प्यार की उम्र सबसे अधिक रहे जीवन में।
नौ महीने कोख-सुख देती जो है उपहार यहाँ।।
ज़रा-सी चोट लगे पूत को माँ परेशान होती।
हर पल सावधानी का करे दिल में इख़्तियार यहाँ।।
बस में गर हो माँ के स्वर्ग का ताज़ पहनादे माँ।
सब खुशियों की पूत पर करे हो तो बौछार यहाँ।।
“प्रीतम”कर पूजा माँ की ले ले सभी संस्कार तू।
माँ की मूरत प्रभु सूरत सब-गुण की भरमार यहाँ।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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