गजल- खुदा की अगर हमपे रहमत न होती।।
हमें जिंदगी की युं चाहत न होती,
ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती,
मिले जख्म अपनों से हमकों बहुत हैं,
हमें जख्म सीने की हिम्मत न होती,
(ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती।)
भरोसा है टूटा मेरे दिल का हरदम,
युं एतवार करने की आदत न होती,
(ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती।)
रही हूँ छिपाकर मैं आँखों में आँसू,
युं ही आँसू पीने की सम्मत न होती,
(ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती।)
मेरी मुस्कुराहट लुभाये सभी को,
मुझे मुस्कुराने की फितरत न होती,
(ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती।)
By:Dr Swati Gupta