गजल/कल मेरे घर को जला गया कोई
कल मेरे घर को जला गया कोई।
मुझे मेरी औकात बता गया कोई।।
किसे पता मेरी उदासी का सबब।
बनाए हुए रोटी भी खा गया कोई।।
जख्मों पे मरहम लगाने के बहाने।
मेरे सीने पे खंजर चला गया कोई।।
शहर में अकेला भटकता देखकर।
अपनी दुश्मनी भी जता गया कोई।।
रवि का अपना कोई नहीं ज़हान में।
फिर मैयत पे आंसू बहा गया कोई।।
————-रवि सिंह भारती————
Email–rk160163@gmail.com